1. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप प्रकाशित होनेवाली पाठ्यपुस्तकों एवं अन्य शैक्षिक सामग्रियों के निर्माण हेतु दिशा-निर्देशों के निर्माण हेतु सम्पन्न कार्यशाला में बतौर भाषा विशेषज्ञ के रूप में भागीदारी 13 से 15 मार्च 2023.

2. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप प्रकाशित होनेवाली पाठ्यपुस्तकों एवं अन्य शैक्षिक सामग्रियों के निर्माण हेतु दिशा-निर्देशों के निर्माण हेतु सम्पन्न कार्यशाला में बतौर भाषा विशेषज्ञ के रूप में भागीदारी 01 मार्च से 03 मार्च 2023.

3. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भाषा पाठ्यक्रमों के आकलन हेतु सम्पन्न कार्यशाला में बतौर भाषा विशेषज्ञ के रूप में भागीदारी 23 से 25 फरवरी 2023.

4. भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर एव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तकों निर्माण हेतु पाँच दिवसीय कार्यशाला में बतौर राष्ट्रीय साधनसेवी (नेशनल रिसोर्स पर्सन) भागीदारी, 07 अक्तूबर से 11 अक्तूबर 2022.

5. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भारतीय भाषाओं के लिए शिक्षाशास्त्र पर सामग्री का विकास हेतु सम्पन्न कार्यशाला में बतौर भाषा विशेषज्ञ के रूप में भागीदारी 20 से 23 सितम्बर 2022.

6. भारतीय विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षा संस्थानों हेतु शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित भारतीय भाषा समिति की विभिन्न योजनाओं के निर्माण हेतु गठित भाषा विशेषज्ञ समूह में बतौर भाषा विशेषज्ञ शामिल, 31 अगस्त 2022.

7. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, प्रौढ़ शिक्षा के उर्दू पाठ्यक्रम प्राईमर निर्माण एवं भाषा पाठ्यक्रम हेतु आलोचनात्मक चिन्तन, कहानी लेखन एवं ई-सामग्री निर्माण कार्यशाला में बतौर विषय विशेषज्ञ सम्मिलित, 04 से 08 जुलाई 2022

8. भाषा-विशेषज्ञ के रूप में भूमिका का निर्वहन,सीखने के प्रतिफल का पुनरवालोकन, 07 फरवरी से 09 फरवरी, 2022 राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, दिल्ली।

9. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तत्त्व बहुभाषिकता के अवयवों से समन्वित शैक्षिक सामग्री का निर्माण 07 से 10 मार्च 2021, राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, दिल्ली।

10. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तत्त्व बहुभाषिकता के अवयवों से समन्वित शैक्षिक सामग्री का निर्माण 06 से 08 जनवरी 2021, राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, दिल्ली।

11. भाषा विशेषज्ञ के रूप में भूमिका का निर्वहन, माध्यमिक स्तर पर हिन्दी `अ’ पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले शिक्षकों हेतु ऑनलाइन दक्षता सम्वर्द्धन सामग्री निर्माण, 02 से 05 मार्च 2020 राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, दिल्ली।

12. भाषा विशेषज्ञ के रूप में भूमिका का निर्वहन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य के अध्ययन-अध्यापन हेतु माध्यमिक स्तर पर ई-सामग्री का निर्माण, 01 से 04 जनवरी 2019, राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, दिल्ली।

13. पाठयक्रम अभिनवीकरण हिन्दी कार्यशाला में बतौर भाषा-साहित्य विशेषज्ञ, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, 17 अगस्त से 19 अगस्त 2019

14. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट के सन्दर्भ में डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में सम्पन्न परिसम्वाद, सुझाव एवं संशोधन हेतु वैश्विक ज़रूरतों, स्थानीय प्रतिबद्धताओं और हाशिए के समाजों हेतु सम्पन्न विषय पर भाषा और शिक्षा विशेषज्ञ के रूप में योगदान, 17 जून से 19 जून 2019

15. भारत की भाषाई विविधता के अलोक में भाषा की भूमिका और बहुभाषिकता की विभिन्न स्थापनाओं और फलश्रुतियों का विश्लेषण और सामग्री निर्माता की भूमिका का निर्वाह, दिसम्बर 2018,

16. राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान (न्यूपा), दिल्ली, भाषा विशेषज्ञ के रूप में भूमिका का निर्वहन, हिन्दी भाषा में ई-सामग्री का निर्माण,04 से 07 दिसम्बर 2018

17. भाषा विशेषज्ञ के रूप में भूमिका का निर्वहन, उच्च प्राथमिक स्तर से उच्चतर माध्यमिक स्तर के हिन्दी विषय हेतु ई- सामग्री , 22 से 26 अक्तूबर 2018

18. आदिकालीन और मध्यकालीन कविता सामग्री निर्माण हेतु बतौर विषय विशेषज्ञ भागीदारी,इग्नू, दिल्ली 08 एवं 09 अगस्त 2018

19. दक्षिण भारत में कार्यरत हिन्दी अध्यापक/अध्यापिकाओं हेतु गतिविधि आधारित व्याकरण सामग्री निर्माण एवं प्रशिक्षण, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, मैसूरू, राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, 16 जनवरी से 20 जनवरी 2017

20. दक्षिण भारत में कार्यरत हिन्दी अध्यापक/अध्यापिकाओं हेतु गतिविधि आधारित व्याकरण सामग्री निर्माण एवं प्रशिक्षण, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, मैसूरू, राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, 15 नवम्बर से 19 नवम्बर 2016

21. हिन्दी शिक्षण के अभिविन्यास एवं विषय-वस्तु सम्वर्द्धन कार्यक्रम में बतौर भाषा विशेषज्ञ सामग्री निर्माण एवं प्रशिक्षण भागीदारी, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, 16 नवम्बर 18 नवम्बर 2015

22. राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद् दिल्ली में बीएड पाठ्यक्रम हेतु पाठ्यपुस्तक डिज़ाइन करने में एक रिसोर्स पर्सन के रूप में काम किया। (2014-2018)

23. क्षेत्रीय शैक्षणिक संस्थान मैसूर के दक्षिण क्षेत्र में प्राथमिक स्तर पर गतिविधि आधारित व्याकरण प्रशिक्षण पैकेज़ के डिज़ाइन और विकास में एक मेंटर और रिसोर्स परसों के रूप में काम किया के लिए पाठ्य पुस्तक डिज़ाइन करने में एक रिसोर्स पर्सन के रूप में काम किया। (2016-2017)

24. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओपन स्कूलिंग इंस्टिट्यूट नोएडा में भारत सरकार द्वारा निर्धारित कक्षा XI की हिंदी पाठ्य पुस्तक की डिजाइनिंग में एक रिसोर्स पर्सन के रूप में काम किया।(2011-2012)

25. एस.आई.ई.आर.टी. पटना, बिहार कक्षा V और VIII के लिए पाठ्य पुस्तक डिज़ाइन करने में एक रिसोर्स पर्सन के रूप में काम किया। (2010-2011)

26. एस.आई.ई.आर.टी. उदयपुर, राजस्थान डी.एल.एड. कक्षा के लिए पाठ्य पुस्तक डिज़ाइन करने में एक रिसोर्स पर्सन के रूप में काम किया। (2012-2014)

27. एस.आई.ई.आर.टी. पटना, बिहार में डी.एल.एड.- O.D.L. कक्षा की ‘हिंदी-1’ के लिए पाठ्य पुस्तक डिज़ाइन करने में एक एक रिसोर्स पर्सन के रूप में काम किया। (2012-2014)

28. एस.आई.ई.आर.टी. पटना, बिहार में डी.एल.एड.- O.D.L. कक्षा की ‘हिंदी-2’ के लिए पाठ्य पुस्तक डिज़ाइन करने में एक एक रिसोर्स पर्सन के रूप में काम किया। (2012-2014)

29. एस.आई.ई.आर.टी. पटना, बिहार में डी.एल.एड.- O.D.L. कक्षा की ‘शिक्षा का साहित्य’ के लिए पाठ्य पुस्तक डिज़ाइन करने में एक एक रिसोर्स पर्सन के रूप में काम किया। (2012-2014)

30. भाषा विशेषज्ञ के रूप में भूमिका का निर्वहन,समझ का माध्यम, राष्ट्रीय परिसम्वाद, 27-28 अगस्त 2008, राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, दिल्ली एन.सी.ई.आर.टी. नयी दिल्लीमें कक्षा IX और X के लिए पाठ्य पुस्तक डिज़ाइन करने में एक रिसोर्स पर्सन के रूप में काम किया। (2005-2007)

प्रशासनिक अनुभव

1. विभागाध्यक्ष, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषा विभाग -  7 जुलाई 2021 से 6 जुलाई 2024 ।

2. नोडल ऑफिसर, एक दशक से भी अधिक, अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण (AISHE) 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017, 2018, 2019, 2020, 2021, 2022, वर्तमान में जारी।

3. नैक के अलोक में गठित विश्वविद्यालय आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ सदस्य 2018, 2019, 2020, 2021, 2022, 2023 ।

4. नोडल ऑफिसर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, 2019-20, 2020-21, 2021-22 ।

5. कुलानुशासक (चीफ प्रॉक्टर), शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए।

6. विश्वविद्यालय शोध एवं अनुसन्धान निदेशक (रिसर्च डाइरेक्टर) 2021-2022 के लिए।

7. डॉक्टर हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर एव महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ सांस्थानिक अकादेमिक गुणवत्ता विकास करार संयोजक 2021-22।

8. विश्वविद्यालय ई-टेंडरिंग समिति सदस्य 2019-2022

9. विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों (वाराणसी, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र) हेतु ऑनलाइन शिक्षा नीति गाइडलाइन निर्माण समिति संयोजक एवं विशेषज्ञ के रूप में सत्र 2020 -21 में योगदान।

10. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ शताब्दी वर्ष 2020-21 प्रकाशन समिति समन्वयक।

11.विश्वविद्यालय ई-पत्रिका (यू.जी.सी. रेगुलेशन नम्बर F.1.1/2018 COG Journals/CARE) अन्वेषण प्रतिमान सम्पादक-12 मई 2020।

13. नोडल कोआर्डिनेटर संयुक्त प्रवेश परीक्षा बी.एड. उत्तर प्रदेश -2019, वाराणसी नोडल केन्द्र, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ।

14. अध्यापकों/अध्यापिकाओं के लिए कैस (पदोन्नति) हेतु गठित स्क्रीनिंग कमिटी सदस्य, 2019।

15. संयुक्त प्रवेश परीक्षा, बी.एड. 2016 हेतु उप-नोडल समन्वयक 2018।

16. निष्प्रयोज्य उत्तर-पुस्तिकाएँ एवं अन्य रद्दी के विक्रय हेतु ई-टेंडरिंग समिति सदस्य-2018।

17. महात्मा गांधी काशी के प्रोफ़ेसर, एसोसिएट प्रोफ़ेसर एवं असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पद पर प्रोन्नति/नियुक्ति हेतु स्क्रीनिंग कमेटी सदस्य-2017।

18. UPCPAT प्रवेश परीक्षा हेतु विश्वविद्यालय पर्यवेक्षक 2016।

19. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के डॉ. विभूति नारायण सिंह गंगापुर परिसर के बी.ए. और बी.कॉम. अकादमिक प्रमाण-पत्रों पर कुलपति प्रतिनिधि के रूप में हस्ताक्षरयुक्त कर निर्गत करने का अधिकार 2020-21।

20. राष्ट्रीय सेवा योजना, प्रोग्राम ऑफिसर, 2009-10

पाठ्यचर्या, पाठयक्रम एवं पाठ्यपुस्तक निर्माण समिति राष्ट्रीय विषय विशेषज्ञ (नेशनल रिसोर्स पर्सन)

पूर्ण शोध परियोजनाएँ

उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की उच्चानुशीलन केंद्र अटल बिहारी वाजपेयी भाषा, साहित्य एवं पत्रकारिता शोध संस्थान

उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की उच्चानुशीलन केंद्र अटल बिहारी वाजपेयी भाषा, साहित्य एवं पत्रकारिता शोध संस्थान के अंतर्गत सम्पन्न शोध "अटल बिहारी वाजपेयी की पत्रकारिता का राष्ट्र निर्माण में योगदान" में यह प्रतिपादित किया गया है कि अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक प्रखर राजनेता और ओजस्वी वक्ता ही नहीं थे, बल्कि एक सजग, संवेदनशील और राष्ट्रनिष्ठ पत्रकार भी थे जिनकी लेखनी ने स्वतंत्रता आंदोलन के बाद के भारत में राष्ट्रीय चेतना के पुनर्निर्माण का कार्य किया। उनकी पत्रकारिता का मूल स्वर राष्ट्रवाद, लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना, सामाजिक न्याय और जन-जागरण था। वाजपेयी जी ने अपने लेखों और संपादकीय टिप्पणियों के माध्यम से न केवल सत्ता की गलत नीतियों की आलोचना की, बल्कि वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए जनता में आत्मबल, आत्मविश्वास और राष्ट्रीय एकता का संदेश पहुँचाया। उनका पत्रकारिता कर्म मात्र समाचार प्रस्तुत करना नहीं था, बल्कि विचारों का मार्गदर्शन करना और समाज को राष्ट्रहित की दिशा में प्रेरित करना था। शोध में यह निष्कर्ष निकला है कि उनकी पत्रकारिता ने स्वतंत्र भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती प्रदान की, जनमानस में राजनीतिक जागरूकता बढ़ाई और भारत के सांस्कृतिक-राष्ट्रीय पुनर्जागरण को सशक्त किया, जिससे उनका योगदान राष्ट्र निर्माण में अत्यंत महत्त्वपूर्ण और अनुकरणीय सिद्ध होता है।

केदारनाथ की कविता, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा स्वीकृत

"केदारनाथ की कविता" विषयक यह शोध परियोजना, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा स्वीकृत एवं वित्तपोषित रही, आधुनिक हिंदी कविता के एक महत्त्वपूर्ण आयाम को रेखांकित करती है। इस परियोजना का उद्देश्य केदारनाथ की काव्य-संवेदना, भाषा-शिल्प, बिंब-योजना और उनके काव्य में निहित सामाजिक-राजनीतिक चेतना का सम्यक् अध्ययन करना था। शोध में यह प्रतिपादित किया गया कि केदारनाथ की कविता मूलतः जनजीवन के यथार्थ से गहराई से जुड़ी हुई है और वह गाँव-खेत-खलिहान से लेकर शहरी जीवन की विडंबनाओं तक का सजीव चित्र प्रस्तुत करती है। उनकी कविताओं में जहाँ एक ओर पीड़ा, शोषण और संघर्ष का करुण यथार्थ मिलता है, वहीं दूसरी ओर आशा, प्रतिरोध और परिवर्तन की जिजीविषा भी स्पष्ट रूप से प्रकट होती है। उन्होंने परंपरा और आधुनिकता का संतुलित सामंजस्य प्रस्तुत करते हुए भाषा को सरल, सहज और प्रभावशाली ढंग से प्रयोग में लाया। शोध परियोजना से यह निष्कर्ष सामने आया कि केदारनाथ की कविता केवल साहित्यिक रस ग्रहण का साधन नहीं है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का घोषणापत्र भी है। इस प्रकार UGC प्रायोजित यह शोध परियोजना हिंदी साहित्य में केदारनाथ की रचनात्मक उपस्थिति के गहन मूल्यांकन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण योगदान सिद्ध हुई।